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जलधर केदार

Jaldhar Kedar

यह केदार अंग का राग है। इस राग में राग दुर्गा के स्वर होते हुए भी राग केदार दिखाया जाता है। केदार का अंग स्पष्ट दिखाने के लिये इसमें मध्यम पर विश्रांति देते हैं जैसे - सा रे सा म ; ध प म ; सा ध प ध प म ; म रे प म ; सा म रे प ; ध प म ; प म रे सा ;। राग दुर्गा का अंग म रे प ; म रे ,ध सा; है परन्तु जलधर केदार में इसको म रे प ; म रे सा ; रे सा म इस तरह से लेते हैं और म रे ,ध सा नहीं लिया जाता।

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