Kamod
Anand
Sun, 21/03/2021 - 13:20
राग कामोद बहुत ही मधुर और प्रचलित राग है। इस राग में मल्हार अंग, हमीर अंग और कल्याण अंग की छाया स्पष्ट रूप से दिखाई देती है साथ ही केदार और छायानट की झलक भी दिखाई देती है। इसलिये यह राग गाने में कठिन है। ग म प ग म रे सा - यह कामोद अंग कहलाता है। इस राग में रिषभ-पंचम की संगती के साथ-साथ ग म प ग म रे सा यह स्वर समूह राग वाचक है। यह स्वर संगतियाँ राग कामोद का रूप दर्शाती हैं -
सा म रे प (मल्हार अंग); रे रे प ; ग म प ग म रे सा (कामोद अंग); म् प ध प (केदार अंग) ; ग म ध ध प (हमीर अंग); ग म प ग म रे सा (कामोद अंग); प ध प सा' सा' रे' सा' (छायानट अंग); सा' रे' सा' सा' ध ध प (कल्याण अंग) ; म् प ध म् प ; ग म प ग म रे सा ;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
पकड़
मरेप गमधप
आरोह अवरोह
सारेप म॓पधप निधसां- सांनिधप म॓पधप गमपगमरेसा
वादी स्वर
प
संवादी स्वर
रे
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