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शिवमत भैरव
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 18:43
संक्षिप्त परिचय:- इस राग की रचना भैरव थाट से मानी गई है। इसमें दोनों गंधार, दोनों निषाद, तथा ऋषभ- धैवत कोमल प्रयोग किये जाते हैं। जाति वक्र संम्पूर्ण है। वादी स्वर धैवत और संवादी ऋषभ है। गायन समय प्रातःकाल है।
आरोह– सा रे ग म प ध नि सां।
अवरोह– सां नि ध प, नि ध प म ग म रे सा, नि सा ग रे सा।
शिवमत भैरव विशेषता:-
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शहाना
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 18:43
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वृन्दावनी सारंग
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 18:35
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वराटी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 18:35
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लच्छासाख
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 18:35
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रागेश्वरी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 13:03
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यमनी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 13:03
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मेघरंजनी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 13:03
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मुलतानी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 12:56
यह अत्यंत मधुर राग है। राग तोडी से बचने के लिये राग मुलतानी में ,नि सा म१ ग१ रे१ सा - यह स्वर समुदाय लिया जाता है। आलाप की समाप्ति इन्ही स्वरों से की जाती है। इसमे रिषभ पर जोर नहीं देना चाहिये। इस राग में मध्यम और गंधार को मींड के साथ बार बार लिया जाता है। प्रायः आलाप और तानों का प्रारंभ मन्द्र निषाद से किया जाता है।
यह गंभीर प्रकृति का राग है। इसमें भक्ति रस की अनुभूति होती है।
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मियाँ की सारंग
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 12:56
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