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गोड़उ नाच
भोजपुरी माटी की गंध लिए गोड आदिवासी समुदाय के लोगों का पारंपरिक नृत्य प्रसिद्द गोड़ऊ का नाच पंचकोशी मेला के दौरान माता अहिल्या के मंदिर प्रांगण में अपना रंग जमा रहा था | अपनी मनौतियाँ पूरी होने पर महिलाएं अपने आँचल पर इस नर्तकों का नृत्य करवाती हैं | नर्तक मंडली के मुखिया रामनाथ गोंड़ ने बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा यह नृत्य पारम्परिक रूप से करीब 400 वर्षों से भी अधिक समय से किया जाता है | पूर्वांचल के गोरखपुर, देवरिया और बलिया जिलों में 'गोड़उ' नाच का प्रचलन है। इसमें नृत्य के साथ प्रहसन भी होता है। नृत्य का प्रमुख भाग 'हरबोल' कहा जाता है। यह प्रहसन के रूप में जो भी करता है उसे 'हरबोलाई' कहते हैं। इस नृत्य में श्रृंगार तथा भक्ति के गीतों का समावेश रहता है।
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