रागेश्वरी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 13:03
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यमनी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 13:03
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मेघरंजनी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 13:03
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मुलतानी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 12:56
यह अत्यंत मधुर राग है। राग तोडी से बचने के लिये राग मुलतानी में ,नि सा म१ ग१ रे१ सा - यह स्वर समुदाय लिया जाता है। आलाप की समाप्ति इन्ही स्वरों से की जाती है। इसमे रिषभ पर जोर नहीं देना चाहिये। इस राग में मध्यम और गंधार को मींड के साथ बार बार लिया जाता है। प्रायः आलाप और तानों का प्रारंभ मन्द्र निषाद से किया जाता है।
यह गंभीर प्रकृति का राग है। इसमें भक्ति रस की अनुभूति होती है।
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मियाँ की सारंग
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 12:56
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।