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खेसारी लाल का गाना

सुघराई

राग सुघराई के लक्षण एक जैसे होने के कारण, इन दोनों रागों को मिलाकर राग सुहा सुघराई गाया/बजाया जाता है। राग सुहा के आरोह में रिषभ अल्प होने के कारण सा ; ग१ म रे सा ; सा म म प ; ग१ म रे सा ; म प नि१ प ; प नि१ म प सा' ; सा' प नि१ प ; म प ; ग१ म रे सा ; और राग सुघराई के आरोह में रिषभ का पूर्ण प्रयोग व सारंग अंग की अधिकता के कारण - सा रे म प ; म रे प ; ग१ म रे सा ; म प नि१ प सा' ; नि१ सा' रे' सा' ; नि१ सा' प नि१ प ; नि१ नि१ प म रे सा ; रे (म)ग१ ग१ म रे सा ; - यह स्वर समुदाय बार बार आते हैं। और जहाँ ये स्वर समुदाय एक ही राग में दिखाई देंगे वहाँ राग सुहा सुघराई का स्वरुप प्रकट होगा।

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