ताण्हाजी शंकरा रे शंकरा
शंकरा
Raagparichay
Thu, 17/02/2022 - 09:09
राग शंकरा की प्रकृति उत्साहपूर्ण, स्पष्ट तथा प्रखर है। यह राग वीर रस से परिपूर्ण है। यह एक उत्तरांग प्रधान राग है। इसका स्वर विस्तार मध्य सप्तक के उत्तरांग व तार सप्तक में किया जाता है।
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