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लंका-दहन सारंग

लंका-दहन सारंग

यह सारंग का प्राचीन प्रकार है जो की वर्त्तमान में अधिक प्रचलन में नहीं है। राग वृंदावनी सारंग के अवरोह में धैवत और कोमल गंधार का उपयोग होने से इस राग का स्वरुप प्रकट होता है। इस राग में कोमल गंधार का प्रयोग इस तरह से किया जा सकता है जैसे - ध प रे ग१ रे सा - देसी समान या रे ग१ रे सा - जयजयवंती समान। ध नि१ प का प्रयोग बहुत ही अल्प है और धैवत का उपयोग भी कभी कभी ही किया जाता है।

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