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देवगिरी पर्वत

देवगिरि बिलावल

राग देवगिरि बिलावल, शुद्ध कल्याण और बिलावल का मिश्रण है और साथ ही इसमें कल्याण अंग भी झलकता है। इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाता, नहीं तो यह राग यमनी बिलावल हो जायेगा। अवरोह में निषाद कोमल को इस तरह से लिया जाता है - सा' ध नि१ प अथवा सा' नि ध प ध नि१ ध प म ग रे ग रे सा;

शुद्ध कल्याण ग रे सा ,ध ,प ग में दिखाई देता है और कल्याण सा ,नि ,ध सा ; ,नि रे ग ; ग रे सा में झलकता है इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में अधिक किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग देवगिरि बिलावल का रूप दर्शाती हैं -

राग के अन्य नाम

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