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राग दरबारी

दरबारी कान्हड़ा

राग दरबारी कान्हडा, तानसेन द्वारा बनाया हुआ राग है, यह धारणा प्रचिलित है। यह राग शांत और गम्भीर वातावरण पैदा करता है। इस राग में गंधार और धैवत पर आंदोलन किया जाता है। आरोह में गंधार को रिषभ का कण लगाकर और धैवत को पंचम का कण लगाकर लिया जाता है। इसी तरह अवरोह में गंधार को मध्यम का कण लगाकर और धैवत को निषाद का कण लगाकर लिया जाता है।

धैवत को अवरोह में छोड़ा जाता है जैसे - सा' (नि१)ध१ नि१ प। यह गमक और मींड प्रधान राग है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग दरबारी कान्हडा का रूप दर्शाती हैं -

राग के अन्य नाम

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