Skip to main content

भारतीय संगीत का इतिहास

भारतीय संगीत में आध्यात्मिकता स्रोत

भारतीय संगीत मूल रूप में ही आध्यात्मिक संगीत है। भारतीय संगीत को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग माना है तो कहीं साक्षात ईश्वर माना गया है। अध्यात्म अर्थात व्यक्ति के मन को ईश्वर में लगाना व व्यक्ति को ईश्वर का साक्षात्कार कराना अध्यात्म कहलाता है संगीत को अध्यात्मिक अभिव्यक्ति का साधन मानकर संगीत की उपासना की गई है। संगीत को ईश्वर उपासना हेतु मन को एकाग्र करने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। वेदों में उपासना मार्ग अत्यंत सहज तथा ईश्वर से सीधा सम्पर्क स्थापित करने का सरल मार्ग बताया है। संगीत ने भी उपासना मार्ग को अपनाया है।

भारतीय संगीत में वाद्यों का महत्व

संगीत   में   वाद्यों   का   विशेष   महत्त्व   है।   इसके   बिना   गायन ,  वादन ,  नर्तन   का   सौन्दर्य   अधखिली   कली   के   सदृश्य   होता   हे।   गायन ,  वादन ,  नृत्य ,  वाद्यों   की   संगति   पाकर   पूर्ण   विकसित   सुमन   की   भांति   खिल   उठते   हैं।   केवल   गायन ,  वादन   तथा   नृत्य   में   ही   नहीं   बल्कि   नाटकों   में   भी   वाद्यों   का   विशेष   महत्त्व   होता   है।   गायन   की   भांति   वादन   भी   नाट्य   क्षेत्र   में   आवश्यक   है।   भरत   मुनि   ने   कहा   है।

‘‘ वाद्येशु   यत्नः   प्रथमं   कार्यः   वदन्ति   शैया   चं   नाट्यम   वदन्ति   वाद्यम्।

संबंधित राग परिचय