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सितार के अंग

सितार

सितार का नाम सुनते ही सबसे पहले मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर की याद आती है। सितार का प्रयोग शास्त्रीय संगीत से लेकर हर तरह के संगीत में किया जाता है। इसके इतिहास के बारे में अनेक मत हैं। सितार पूर्ण भारतीय वाद्य है क्योंकि इसमें भी वीणा की तरह भारतीय वाद्यों की तीनों विशेषताएं हैं। तंत्री या तारों के अलावा इसमें घुड़च, तरब के तार तथा सारिकाएँ होती हैं।  इसके महत्व का एक कारण यह भी है कि सेनिया धराने के लोग अपने घर के अलावा शिष्यों को सितार की शिक्षा देते थे। इस कारण वीणा वादन कुछ लोगों तक ही सीमित हो गया और सितार का प्रचार बढ़ता गया। सितार वाद्य का महत्व अनेक कारणों से देखा जा सकता है।

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