Jogkauns raag parichay
अभोगी कान्ह्डा
राग अभोगी कान्हड़ा दक्षिण भारतीय पद्धति का राग है। इसमें कान्हड़ा का अंग है, इसलिये गन्धार को अन्दोलित करते हुए ग१ म रे सा ऐसे वक्र रूप मे लिया जाता है। कुछ संगीतकार इस राग को कान्हड़ा अंग के बिना गाते हैं और उसे सिर्फ अभोगी बोलते हैं जिसमें ग म रे सा की जगह म ग रे सा लिया जाता है।
इस राग की प्रकृति गंभीर है। इसका विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग अभोगी कान्हड़ा का रूप दर्शाती हैं -
सा रे ,ध सा ; रे ग१ म ; ग१ म ध सा' ; सा' ध म ; ध म ग१ रे ; ग१ म रे सा ; रे ,ध सा ; रे ग१ म रे सा ;
- Read more about अभोगी कान्ह्डा
- Log in to post comments
- 4459 views
कीरवाणी
यह कर्नाटक संगीत से हिन्दुस्तानी संगीत में लिया हुआ राग है। इस राग का वाद्य संगीत में ज्यादा प्रयोग किया जाता है। यह चन्चल प्रक्रुति का राग होने कि वजह से इसमे ठुमरी जैसी बंदिशें ज्यादा प्रचिलित हैं। फिल्म संगीत में भी इस राग का बहुत उपयोग किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग कीरवाणी का रूप दर्शाती हैं -
सा रे ग१ म ध१ प ; ध१ प म ग१ रे ग१ म प ; प ध१ नि सा' नि ध१ प ; प ध१ नि सा' ; प ध१ सा' रे' ; सा' रे' ग१' रे' सा' नि ध१ प ; प ध१ नि रे' नि ध१ ; नि ध१ म ; ध१ म ग१ रे१; ग१ प म ग१ रे सा ,नि ; ग१ रे सा ,नि ,ध१ ,नि रे सा ;
- Read more about कीरवाणी
- Log in to post comments
- 2331 views