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भारत के राज्यों के लोक नृत्य

मध्य प्रदेश के प्रमुख लोकनृत्य

 1) करमा नृत्य : मध्य प्रदेश के गोंड और बैगा आदिवासियों का प्रमुख नृत्य है। जो मंडला के आसपास क्षेत्रों में किया जाता है। करमा नृत्य गीत कर्म देवता को प्रशन्न करने के लिए किया जाता है। यह नृत्य कर्म का प्रतीक है। जो आदिवासी व लोकजीवन की कर्म मूलक गतिविधियों को दर्शाता है। यह नृत्य विजयदशमी से प्रारंभ होकर वर्षा के प्रारंभ तक चलता है। ऐसा माना जाता है कि करमा नृत्य कर्मराजा और कर्मरानी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है इसमें प्रायः आठ पुरुष व आठ महिलाएं नृत्य करती है। ये गोलार्ध बनाकर आमने सामने खड़े होकर नृत्य करते है। एक दल गीत उठता है और दूसरा दल दोहराता है | वाध्य यन्त्र मादल का प्रयोग

थुलाल नृत्य

थुलाल नृत्य केरल के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। यह एकल नृत्य है, जिसके तीन प्रकार हैं। इस नृत्य के उद्भव का श्रेय केरल के प्रसिद्ध कवियों में से एक 'कंचन नांबियार' को दिया जाता है। हालांकि 'नाट्यशास्त्र' के शास्त्रीय सिद्धांतों पर आधारित इस कला की तकनीक कठोर नहीं है। नृत्य के गीत सरल व सरस मलयालम भाषा में लिखे होते हैं। इन मुखर गीतों में हास्य का पुट होता है। प्रस्तुती भी सरल होती है और थुलाल में जीवन के हर दिन से सीधा संबंध इसे लोकप्रिय बनाता है। थुलाल में उपयोग होने वाले वाद्य यंत्र 'मद्दलम' और 'झांझ' हैं। झांझ बजाने वाले की धुन कलाकार नर्तकी (थुलाकरन) को गाने में सहायता करती

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