राजस्थानी नृत्य Wikipedia
डोमकच नृत्य
पूर्वांचल में मुख्य रूप से सोनभद्र जनपद के सुदूर वनों-पहाड़ों के मध्य 'घसिया' जाति के आदिवासी निवास करते हैं। ये कैमूर की गुफाओं में न जाने कब से निवासित हैं तथा मादल, ढोल, नगाड़ा, बांसुरी, निशान, शहनाई आदि वाद्य बनाकर बेचते और उसे बजाकर नाचते - गाते भी हैं। पहले ये राजाओं के यहाँ घोड़ों की 'सईसी' करते थे। इन्होने एक बार अस्पृश्य मानी जाने वाली डोम जाती का स्पर्श करके नाच - गाकर खुशियां मनाई तभी से विवाह, गवना, अन्नप्राशन, मुंडन अथवा होली, दशहरा, दीपावली आदि अवसरों पर पूरे परिवार के साथ नाचने की परंपरा इनमें चल पड़ीं। ये लोग नाचते समय कई कलाओं का प्रदर्शन भी करते हैं।
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शंकरिया नृत्य
शंकरिया नृत्य कालबेलिया जाति के सपेरों द्वारा किया जाता है। यह प्रेम कहानी पर आधारित होने के कारण स्त्री-पुरुष दोनों के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें अंग संचालन अति सुन्दर होता है। यह प्रेम कहानी पर
आधारित होने के कारण स्त्री-पुरुष दोनों के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें अंग संचालन अति सुन्दर होता है।
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