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नटुआ नृत्य

'खटिकों' की तरह चर्मकार जाति के लोग 'नटुआ' नाच करते हैं। पहली फसल कट जाने पर फाल्गुन -चैत की चांदनी रात में यह द्वार-द्वार जाकर नाचते-गाते और बदले में कुछ अनाज या पैसा पाते थे। ये लोग बरी-भात और पूड़ी पर नाचते थे। अब अपनी बस्ती में वृत्त - अर्धवृत्त बनाकर घुमते हुए नाचते और हास्य - व्यंग में अभिनय करते हैं। रंग - बिरंगी गुदड़ी पहने चूना कालिख लगाये प्रहसक अश्लील् चुटकुले बोलता है। नर्तक बीच में नाचता है। एक टेढ़ी छड़ी अनिवार्य होती है। ढोल, छड, घंटी, झांझ, छल्ला, पावों में पैरी, कमर में कौड़ी बांधे नर्तक हास्य का माहौल सृजित कर देते हैं।