ਵਿਨੋਦ ਨਾਗਪਾਲ
Vinod Nagpal (born 26 September 1940) is an Indian film, stage and television actor and a trained classical singer, who mainly works in Hindi cinema.[1][2] He has almost appeared in movies as a Character actor. He made his screen debut with Chashme Buddoor (1981).
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ਰਮੇਸ਼ ਨਰਾਇਣ
Sanhita Nandi is a prominent Hindustani classical vocalist of the Kirana Gharanahe central motif of her style is slow tempo raga development (voice culture, voice throw, and tonal application) and ornamented sargams. She is getting guidance under Mashkoor Ali Khan.
Early life
Sanhita Nandi was trained under the late A. Kanan of Kirana Gharana,[3] the senior most guru at the ITC Sangeet Research Academy.
Career
Sanhita Nandi performing in Sawai Gandharva in Pune
Sanhita Nandi performing in Tansen Sangeet Samaroh in Gwalior
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കല്ലുകൾ പാടിയ കിഷോരി അമോങ്കർ എന്ന ഗാനം
जयपुर अतरौली घराने की गायकी के मर्म और ममत्व की खूबियों-बारीकियों को गहराई से सीखने-समझने में पारंगत होने के बाद इसे अपनी गायन-शैली में शामिल करने वाली किशोरी अमोणकर ने अपनी गायकी में नए-नए आविष्कार करते हुए भारतीय शास्त्रीय संगीत के महाद्वीप में अपना मौलिक स्थान बनाया था। उन्होंने अपनी गायकी को एक अनोखे अंदाज में तराशते हुए जिस तरह से संवारा था, उससे उनकी गायन शैली में एक गहरा चिंतन और एक गहरी समझ दिखाई पड़ती है।
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ਸੰਗੀਤ ਦਾ ਸੁਰੀਲਾ ਕੈਰੀਅਰ
संगीत एक सर्वाधिक सुरीली मानवीय क्रिया है। वह नाद स्वर ही था, जिससे इस संसार की रचना हुई थी। संगीत एक ऐसी विधा है, जिससे मानव भावना को सृजित किया जा सकता है तथा भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। यह संगीत है, जो मस्तिष्क को सुकून प्रदान करता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा, जो कभी न कभी संगीत से अभिभूत न हुआ होगा। जहाँ तक भारत का प्रश्न है सदियों से हमारा संगीत से नाता रहा है।
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ਕੁਮਾਰ ਸਾਨੂ
कुमार सानू हिंदी सिनेमा के एक जानेमाने पार्श्व गायक हैं। 20 अक्टूबर, 1957 को कोलकता में जन्मे कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज़ बनाये रखा है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।