Raag
Gara
- Read more about Gara
- Log in to post comments
- 895 views
Gunkali
करुणा और भक्ति रस से परिपूर्ण यह प्रातः कालीन राग श्रोताओं की भावनाओं को आध्यात्मिक दिशा की और ले जाने में समर्थ है। राग दुर्गा में रिषभ और धैवत कोमल करने से राग गुणकली का प्रादुर्भाव हुआ है। धैवत कोमल इसका प्राण स्वर है जिसके बार बार प्रयोग से राग गुणकली का प्रभाव स्पष्ट हो जाता है।
यह राग, भैरव थाट के अंतर्गत आता है। गुणकली एक मींड प्रधान राग है। यह एक सीधा राग है और इसका विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग गुणकली का रूप दर्शाती हैं -
- Read more about Gunkali
- Log in to post comments
- 1800 views
Gorakh Kalyan
यह एक बहुत ही मीठा और प्रभावशाली राग है। आरोह में तीन स्वर वर्ज्य होने के कारण इस राग की जाति सुरतर कहलाती है।
इस राग में मध्यम एक महत्वपूर्ण स्वर है जो इस राग का वादी और न्यास स्वर है। इसी कारण यह राग नारायणी से अलग हो जाता है, जिसमें न्यास और वादी स्वर पंचम है। गोरख कल्याण में मन्द्र सप्तक का कोमल निषाद एक न्यास स्वर है जो इस राग की पहचान है। आरोह में निषाद वर्ज्य है जिसके कारण यह राग बागेश्री से अलग हो जाता है। परन्तु कोमल निषाद को आरोह में अल्प स्वर के रूप में लगाते हैं जो इस राग की सुंदरता बढ़ाता है जैसे - ,ध ,नि१ रे सा या ,नि१ सा रे सा।
- Read more about Gorakh Kalyan
- Log in to post comments
- 2294 views
Gopika Basant
Gopi Basant
Thaat: Asavari
Jati: Chhadav-Chhadav (6/6)
Vadi: S
Samvadi: P
Vikrit: G,D & N Komal
Virjit: R both ways
Aroh: S g m P d n S*
Avroh: S* n d P m g S
Time: Morning
यह एक बहुत ही मीठा राग है। इस राग में राग मालकौन्स की झलक दिखाई देती है, पर पंचम का उपयोग करने से यह राग मालकौन्स से अलग दिखाई देता है। आरोह में पंचम का उपयोग कम किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग गोपिका बसंत का रूप दर्शाती हैं -
- Read more about Gopika Basant
- Log in to post comments
- 354 views
Gauri (Bhairav Ang)
Gaud Sarang
यह दिन के तीसरे प्रहर में गाया जाने वाला सुमधुर राग है। सारंग अंग के सभी रागों के पश्चात इस राग को गाने की प्रथा है। इस राग का वादी स्वर गंधार और संवादी स्वर धैवत है जबकि राग सारंग में ये दोनों स्वर वर्ज्य हैं। इस राग में सिर्फ प-रे की संगति ही सारंग राग को दर्शाती है। इस राग का अपना स्वतंत्र रूप है और आरोह-अवरोह में आने वाली वक्रता से ही राग स्पष्ट होता है। ग रे म ग ; प रे सा यह स्वर संगतियां राग वाचक हैं और प्रत्येक आलाप में इसका प्रयोग होता है।
- Read more about Gaud Sarang
- Log in to post comments
- 4934 views
Gaud Malhar
यह बहुत ही मधुर, चित्ताकर्षक और प्रभावशाली राग है परन्तु गाने में कठिन है। यह राग बहुत प्रचलन में है। इस राग को राग गौड के नाम से भी जाना जाता हैं। इस राग में गौड़ अंग, शुद्ध मल्हार अंग और बिलावल अंग का मिश्रण दिखाई देता है।
राग के अन्य नाम
- Read more about Gaud Malhar
- Log in to post comments
- 2705 views
Durga
रात्रि के रागों में राग दुर्गा बहुत मधुर और सब लोगों का प्रिय राग है। रे रे म रे; ,ध ,ध सा - यह स्वर संगती राग को स्पष्ट बनाती है। सभी शुद्ध स्वर लगने के बावजूद इस राग का एक विशिष्ट वातावरण पैदा होता है जो की स्थाई प्रभाव डालने में समर्थ है। यह मूलतः दक्षिण भारतीय संगीत का राग है जो उत्तर भारतीय संगीत में भी लोकप्रिय हुआ है। मध्यम स्पष्ट लगने से यह राग खिलता है। इस राग में अवरोह में पंचम पर विश्रांति नही देनी चाहिये।
इस राग की प्रकृति न तो अधिक गंभीर है और न ही अधिक चंचल। इसमें ख्याल, तराने आदि गाये जाते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग दुर्गा का रूप दर्शाती हैं -
राग के अन्य नाम
- Read more about Durga
- Log in to post comments
- 6223 views
Dhani
- Read more about Dhani
- Log in to post comments
- 1625 views
Dhanashree
- Read more about Dhanashree
- Log in to post comments
- 1785 views