ढिम्सा नृत्य
ढिम्सा नृत्य आंध्र प्रदेश का पारम्परिक लोक नृत्य है। यह नृत्य प्रदेश के विशाखापट्नम ज़िले में प्रचलित है। ढिम्सा एक जनजातीय नृत्य है, जो विवाह के दिन एवं शिकार आदि के अवसरों पर होता है। पूर्णिमा के चार दिन पूर्व एवं इतने ही दिन बाद यह नृत्य किया जाता है। स्त्री और पुरुषों द्वारा किये जाने वाले इस नृत्य में नर्तकों का उल्लास देखते ही बनता है। गायन एवं ढोल वादन की थाप पर होने वाला यह नृत्य सामान्यत: रात्रि में होता है।
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कौसी कान्ह्डा
यह राग दो विभिन्न अंगों द्वारा गाया जाता है - मालकौंस अंग और बागेश्री अंग। लेकिन मालकौंस अंग ही ज्यादा प्रचलन में है। अतः यहाँ उसी को दर्शाया गया है। इस राग में मालकौंस और कान्हडा अंग का मिश्रण झलकता है। मीण्ड, खटके और गमक इनके प्रयोग से इस राग का माधुर्य श्रोताओं पर अपना अलग ही प्रभाव डालता है।
आलाप और तानों का अंत ग१ म रे सा (कान्हडा अंग) अथवा ग१ म ग१ सा (मालकौन्स अंग) से किया जाता है। आरोह में रिषभ का प्रयोग सा रे ग१ म रे सा अथवा रे ग१ म सा इस तरह से किया जाता है।
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खमाज
रात्रि के रागों में श्रंगार रस के दो रूप, विप्रलंभ तथा उत्तान श्रंगार से ओत प्रोत है राग खमाज। चंचल प्रक्रुति की श्रंगार रस से सजी हुई यह ठुमरी की रगिनी है। इस राग में गंभीरता की कमी के कारण इसमें ख्याल नही गाये जाते।
इस राग में आरोह में धैवत का अपेक्षाक्रुत कम प्रयोग किया जाता है जैसे - ग म प ध प प सा' नि१ ध प; ग म प नि सा'। अवरोह में धैवत से अधिकतर सीधे मध्यम पर आते हैं और पंचम को वक्र रूप से प्रयोग करते हैं जैसे - नि१ ध म प ध म ग। अवरोह में रिषभ को कण स्वर के रूप में लेते हैं जैसे - म ग रेसा।
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खम्बावती
राग खम्बावती बहुत ही मधुर राग है। राग झिंझोटी, जो की ज्यादा प्रचलन में है, इससे मिलता जुलता राग है। ग म सा - यह राग खम्बावती की राग वाचक स्वर संगति है। सामान्यतया इस राग का आरोह सा रे म प ध सा है परन्तु गंधार का उपयोग आरोह में ग म सा इस स्वर संगती में ही किया जाता है। कभी-कभी आरोह में शुद्ध निषाद का प्रयोग म प नि नि सा' इस तरह से किया जाता है।
राग के अन्य नाम
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यमन कल्याण
यमन कल्याण एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय राग है, जो यमन से संबंधित है। इस राग की गति यमन की तरह है, सिवाय इसके कि वंश में, यह कभी-कभी GmG पैटर्न का उपयोग करते हुए समतल मध्यम को धीरे से छूता है।
उस्ताद ध्यानेश खान कहा करते थे कि यमन कल्याण में फ्लैट मध्यम एक परदा महिला के सुंदर चेहरे की तरह है जो कभी-कभी घूंघट से बाहर आता है लेकिन उसके पीछे लगभग तुरंत गायब हो जाता है।
जैसा कि यह यमन से संबंधित है, यह कल्याण थाट का एक हिस्सा है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।