जानिए भारतीय संगीत के बारे में

संगीत हम सभी को लुभाता है। कहा जाता है कि संगीत के पीछे खुदा चलता है। संगीत की महत्ता इसी बात से पता चल जाती है। शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जिसे संगीत पसंद न हो। आइए संगीत के बारे में हम जानते हैं।

भारतीय संगीत प्राचीनकाल से ही सुना जाता रहा है। इस संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। हिन्दू परंपरानुसार ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान स्वरूप दिया था।

संगीत के स्वर भारतीय संगीत के सात शुद्ध स्वर होते हैं। ये हैं- षड्‍ज (सा), ऋषभ (रे), गंधार (ग), मध्यम (म), पंचम (प), धैवत (ध), निषाद (नी)।

Vocalist Pandit Wamanrao Sadolikar

Pandit Wamanrao Sadolikar (16 September 1907 - 25 March 1991) was a Hindustani Classical Vocalist of the Jaipur-Atrauli Gharana founded by his guru, Ustad Alladiya Khan.
• Early life :
Pandit Wamanrao Sadolikar was born into a family of music lovers in Kolhapur. As a teenager, he studied Classical Music under Pandit Vishnu Digambar Paluskar of the Gwalior Gharana.
• Career :

बहुजन सुखाय

बहुजन हिताय बहुजन सुखाय यह पंक्ति सुनकर सर्वप्रथम मन मस्तिष्क में जो नाम आता हैं वह आकाशवाणी। रेडियो से मैं बचपन से जुड़ी रही इस कारण उसके विषय मैं जानने सोचने को मन बार बार मजबूर हो जाता हैं, स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कलाकारों,संगीतकारों को राजाश्रय प्राप्त था,संगीत राजाश्र्यो में खूब फला फुला,परन्तु साधारण जनता तक इसका पहुचना कठिन था,उस समय ऐसे संगीत कार्क्रम भी कम ही होते थे,जिनको सुनने साधारण जनता आसानी से पहुच सके।

Vocalist Pandit Mukul Shivputra

Pandit Mukul Shivputra (born 25 March 1956) (previously known as Mukul Komkalimath) is a Hindustani Classical Vocalist of the Gwalior Gharana and the son and foremost disciple of Pt. Kumar Gandharva.

• Early life and training :
Born in Bhopal to Bhanumati Komkalimath and Pt. Kumar Gandharva, Pt. Shivputra took to musical training early on from his father. He continued his musical education in Dhrupad and Dhamar with Pt. K. G. Ginde and in Carnatic Music with M. D. Ramanathan.

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय