दिग्गज डांसर अस्ताद देबू का 73 साल की उम्र में निधन
नृत्य की दुनिया के दिग्गज अस्ताद देबू का गुरुवार सुबह निधन हो गया. 73 साल के देबू के निधन की जानकारी उनके परिवार वालों ने दी है.
परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर जारी की गई सूचना में कहा है, ''10 दिसंबर की सुबह वो इस दुनिया से विदा हो गए. हल्की बीमारी के बाद मु्ंबई स्थित घर पर ही उनका निधन हुआ. वो अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं. कला के प्रति उनका समर्पण अमिट है. उनके नृत्य को पंसद करने वालों की बड़ी तादाद रही है. यह मौत परिवार, दोस्त और नृत्य की दुनिया से जुड़े लोगों को दुखी करने वाली है. हम उनकी कमी महसूस करेंगे. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे.''
देबू को आधुनिक भारतीय नृत्य में नया व्याकरण गढ़ने के तौर पर याद किया जाएगा. 1995 में देबू को समकालीन रचनात्मक नृत्य में योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी सम्मान दिया गया था.
संगीत नाटक अकादमी ने अपने उद्धरण में कहा कहा था कि देबू को थियेटर शैली के नृत्य के लिए याद किया जाएगा. 2007 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
देबू ने नृत्य में कई तरह के प्रयोग किए. ये प्रयोग नृत्य की बनावट, विषय, अवधारणा और प्रदर्शन स्पेस की कसौटी पर होते थे.
दूसरे डांसरो के साथ उनकी जुगलबंदी भी कमाल की होती थी. भारत की समकालीन नृत्य कला में देबू को अद्भुत अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है.
देबू का जन्म 13 जुलाई, 1947 में गुजरात के नवसारी शहर में हुआ था. उन्होंने प्रह्लाद दास से कथक का प्रशिक्षण लिया और कथकली इक पनिक्कर से सीखा.
इसके बाद देबू ने लंदन स्कूल ऑफ कॉन्टेम्पररी डांस में आधुनिक डांस की ट्रेनिंग ली. इसके अलावा उन्होंने न्यूयॉर्क में भी डांस सीखा.
कथक और कथकली को एक साथ जोड़ डांस की नई फॉर्म बनाने वाले मशहूर नर्तक अस्ताद देबू का निधन हो गया है. अस्ताद देबू के परिवार की ओर से जानकारी दी गई है कि गुरुवार सुबह ही उनका निधन मुंबई में हुआ. अस्ताद देबू की उम्र 73 साल थी. परिवार के मुताबिक, अस्ताद देबू कुछ वक्त से बीमार थे जिसके बाद 10 दिसंबर की सुबह उनका निधन हो गया.
परिवार ने अपने एक संदेश में कहा है कि अपनी कई शानदार परफॉर्मेंस के दम पर अस्ताद देबू ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई, आज वो अपने पीछे बड़ी विरासत छोड़कर गए हैं. गौरतलब है कि अस्ताद देबू की गिनती उन नर्तकों में होती है, जिन्होंने आधुनिक और पुराने जमाने के भारतीय नृत्य को एक किया और युवा पीढ़ी के सामने पेश किया. वह हिन्दुस्तानी डांस को ही आगे बढ़ाते थे, लेकिन एक बार उन्होंने कहा था कि अधिकतर भारतीय ही उनके इस नृत्य को पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित मानते हैं.
गुजरात के नवसारी में 13 जुलाई, 1947 को जन्मे अस्ताद देबू ने अपने गुरु प्रह्लाद दास से कथक की शिक्षा ली थी. उसके अलावा उन्होंने गुरु ई.के. पनिक्कर से कथकली की शिक्षा ली. डांस की दुनिया में करीब पांच दशक तक राज करने वाले अस्ताद देबू ने दुनिया के 70 देशों में परफॉर्म किया था.
सिर्फ डांस ही नहीं बल्कि समाजसेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने लगातार काम किया. भारत और विदेश में अस्ताद देबू ने सुन ना पाने वाले बच्चों की सेवा की. साल 2002 में अस्ताद देबू डांस फाउंडेशन के जरिए उन्होंने दिव्यांगों को मदद पहुंचानी शुरू की.
अस्ताद देबू ने बॉलीवुड डायरेक्टर मणिरत्नम, विशाल भारद्वाज जैसे दिग्गजों के साथ काम किया. अस्ताद देबू को 1995 में संगीत नाटक अकादमी दिया गया, इसके अलावा 2007 में उन्हें पद्म श्री से नवाजा गया.
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अस्ताद देबू को उनके डांस के लिए पद्मश्री से नवाजा जा चुका है.
अस्ताद देबू को उनके डांस के लिए पद्मश्री से नवाजा जा चुका है.वह सिर्फ डांस ही नहीं बल्कि समाजसेवा के क्षेत्र में भी लगातार काम करते रहे हैं. भारत और विदेश में वह दिव्यांग बच्चों की सेवा करते रहे हैं. वहीं उनके निधन के साथ डांस प्रेमियों के लिए उनके परिवार ने संदेश भी दिया है. उनका कहना है कि वह डांस का नया रूप दुनिया को सौंप गए हैं. जिसे आगे बढ़ाना है.
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दिग्गज डांसर पद्मश्री अस्ताद देबू
अस्ताद देबू की गिनती उन डांसरों में की जाती है. जिन्होंने आधुनिक और पुराने जमाने के भारतीय नृत्य को एक कर एक नया डांस फॉर्म तैयार किया. उन्होंने नई पीढ़ी के डांसरों को एक नई प्रेरणा दी. वह हमेशा भारतीय संस्कृति और भारतीय डांस को आगे बढ़ाते रहे.
अस्ताद देबू का जन्म 13 जुलाई,1947 को गुजरात में हुआ था. वह शुरू से ही डांस में रूची रखते थे. उन्होंने शुरूआती दौर में गुरू प्रह्लाद दास से कथक की शिक्षा ली. बाद में अस्ताद देबू ने गुरू ईके पनिक्कर से कथकली की शिक्षा ली. उन्होंने करीब 5 दशक तक डांस की दुनिया में राज किया. देबू अबतक दुनिया के 70 देशों में अपनी कला का नमूमा बिखेर चुके थे.