अपणा गिरधर कै कारणै -मीराँबाई
Anand
Sun, 21/03/2021 - 17:43
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मीरा माधव
अपणा गिरधर कै कारणै, (वा) मीराँ वैरागण हो गई (रे) (टेर)
जबतै सिर पर जटा रखाई, नैणाँ नींद गई (रे)।।1।।
दण्ड कमण्डल और गूदड़ी, सिर पर धार लई (रे)।।2।।
छापा तिलक बनाये छबि सों, माला हात रही (रे)।।3।।
दोउ कुछ छाँड भई वैरागण, हरि सों टेर दई (रे)।।4।।
मीराँ के प्रभु गिरधरनागर, गोविन्द सरण भई (रे)।।5।।
राग-सोरठ वा झँझोटी वा माड
(आत्मकथा)