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भीमपलासी

भीमपलासी

राग भीमपलासी दिन के रागों में अति मधुर और कर्णप्रिय राग है। इसके अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अवरोह में रिषभ और धैवत पर जोर दे कर ठहरा नहीं जाता। अवरोह में धैवत को पंचम का तथा रिषभ को षड्ज का कण लगाने से राग की विशेष शोभा आती है। षड्ज-मध्यम तथा पंचम-गंधार स्वरों को मींड के साथ विशेष रूप से लिया जाता है। वैसे ही निषाद लेते समय षड्ज का तथा गंधार लेते समय मध्यम का स्पर्श भी मींड के साथ लिया जाता है। इस राग में निषाद कोमल को ऊपर की श्रुति में गाया जाता है, जिसके लिये बहुत रियाज कि आवश्यकता होती है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसका विस्तार तीनों सप्तकों में होता है।

श्रीमती किशोरी अमोनकर राग भीमपलासी

Raga Bhimpalasi Drut Bandish Navras CD Title: Born To Sing (NRCD 0191) Navras Records / Sama Arts Concert At Kensington Town Hall, London - 9th April 2000 Accompanied by: Purushottam Walawalkar (Harmonium), Balkrishna Iyer (Tabla), Milind Raikar (Violin), Vidya Bhagwat (Tanpura & Vocal Support) Mrs Paigankar & Shobha Patel (Tanpura’s)

राग भीमपलासी | कौशिकी चक्रवर्ती

Exquisite Afternoon Raag Bhimpalasi | Kaushiki Chakraborty | Patiala Khayal | Music of India
Kaushiki Chakraborty sings the romantic afternoon Raag Bhimpalasi, showcasing the ornaments and rapid-fire melodies of her Patiala khayal gharana.

उत्तम दोपहर राग भीमपलासी | कौशिकी चक्रवर्ती | पटियाला ख्याल | भारत का संगीत
कौशिकी चक्रवर्ती रोमांटिक दोपहर राग भीमपलासी गाती हैं, जिसमें उनके पटियाला ख्याल घराने के गहने और तेजी से आग की धुनें दिखाई देती हैं।

संबंधित राग परिचय

भीमपलासी

राग भीमपलासी दिन के रागों में अति मधुर और कर्णप्रिय राग है। इसके अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अवरोह में रिषभ और धैवत पर जोर दे कर ठहरा नहीं जाता। अवरोह में धैवत को पंचम का तथा रिषभ को षड्ज का कण लगाने से राग की विशेष शोभा आती है। षड्ज-मध्यम तथा पंचम-गंधार स्वरों को मींड के साथ विशेष रूप से लिया जाता है। वैसे ही निषाद लेते समय षड्ज का तथा गंधार लेते समय मध्यम का स्पर्श भी मींड के साथ लिया जाता है। इस राग में निषाद कोमल को ऊपर की श्रुति में गाया जाता है, जिसके लिये बहुत रियाज कि आवश्यकता होती है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसका विस्तार तीनों सप्तकों में होता है।

यह गंभीर प्रकृति का राग है। श्रृंगार और भक्ति रससे यह राग परिपूर्ण है। इस राग में ध्रुवपद, ख्याल, तराने आदि गाये जाते हैं। कर्नाटक संगीत में आभेरी नामक राग इस राग के सामान है। काफी थाट का ही राग धनाश्री, भीमपलासी के ही सामान है। धनाश्री में वादी पंचम है जबकि भीमपलासी में वादी मध्यम है।

यह स्वर संगतियाँ राग भीमपलासी का रूप दर्शाती हैं - सा ,नि१ ,नि१ सा ; ,नि१ सा ग१ रे ; सा रे सा ,नि१ ; ,नि१ ,नि१ सा ; ,प ,नि१ सा ग१ ; ग१ म ग१ रे सा ; सा ग१ म ; म ग१ प ; प म ध प म ग१ म ; म ग१ प म प म ग१ म ; ग१ म प ग१ म ; ग१ ग१ रे सा ; ,नि१ सा म ; प म ग१ ; ग१ रे सा ; सा ग१ म प ; म ग१ प ; प म ध प ; नि१ ध प ; प म ध प म ; प म ; ग१ म प नि१ ; सा' नि१ नि१ नि१ नि१ सा' ; प प सा' नि१ रे' सा' ; सा' रे' सा' नि१ नि१ सा' नि१ ध प ; प ध प म ग१ प म ; ग१ म ग१ रे सा;  

थाट

राग जाति

आरोह अवरोह
,नि१ सा ग१ म प नि१ सा' - सा' नि१ ध प म ग१ रे सा ; ,नि१ सा ,प ,नि१ सा;
वादी स्वर
मध्यम/षड्ज
संवादी स्वर
मध्यम/षड्ज

राग भीमपलासी का परिचय और अलंकार-पल्टों का रियाज़

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 19:51

राग भीमपलासी का परिचय
जब काफी के मेल में, आरोहन रेध त्याग |
तृतीय प्रहार दिन ग नि कोमल, मानत म सा संवाद ||

थाट - काफी                         जाति - औडव-सम्पूर्ण
वादी - म                              संवादी - सा
आरोह - नि सा ग म, प, नि, सां
अवरोह - सां नि ध प, म प ग म, ग रे सा
पकड़ - नि सा म, म प ग म, ग रे सा

न्यास के स्वर - सा, ग म प
सम्प्रकृति राग - बागेश्री

विशेषतायें

  1. इसमें ग नि कोमल तथा अन्य स्वर शुद्ध प्रयोग किया जाता है.
  2. आरोह में रे ध वर्जित है.
  3. अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता है.
  4. इसमें सा म और म ग की संगति बार-बार दिखाते हैं.
  5. नि के साथ सा के तथा ग के साथ म का मींड दिखाने की परंपरा है.
  6. यह करुण प्रकृति का राग है. इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल, तराना, ध्रुपद-धमार आदि सभी गाये बजाये जाते हैं.
     

Pooja Mon, 19/04/2021 - 19:52

१. दिल के टुकड़े टुकड़े कर के - दादा

२. दिल में तुझे बिठाके - फकीरा

३. ए री मैं तो प्रेम दिवानी 

४. ए ली रे ए ली क्या है ये पहेली - यादें

५. किस्मत से तुम हमको मिले हो - पुकार

६. नैनों में बदरा छाये - मेरा साया