नायकी कान्ह्डा
नायकी कान्ह्डा
नायकी कान्ह्डा राग को काफी थाट जन्य माना जाता है। इसके गंधार और निषाद कोमल है। धैवत वर्ज्य होने से इसकी जाति षाडव है। वादी मध्यम और संवादी षडज है। गायन समय मध्य-रात्रि है।
इस राग को देवगिरी के दरबार गायक पंडित गोपाल नायक जी ने बनाया था इसलिए यह नायकी कान्हड़ा के नाम से जाना जाता है। यह एक उत्साहवर्धक और प्रभावशाली राग है।
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संबंधित राग परिचय
नायकी कान्ह्डा
नायकी कान्ह्डा राग को काफी थाट जन्य माना जाता है। इसके गंधार और निषाद कोमल है। धैवत वर्ज्य होने से इसकी जाति षाडव है। वादी मध्यम और संवादी षडज है। गायन समय मध्य-रात्रि है।
इस राग को देवगिरी के दरबार गायक पंडित गोपाल नायक जी ने बनाया था इसलिए यह नायकी कान्हड़ा के नाम से जाना जाता है। यह एक उत्साहवर्धक और प्रभावशाली राग है।
रे प ; म नि१ प और ग१ म प म रे सा रे सा यह राग वाचक स्वर संगतियाँ हैं। इसमें आरोह के महत्वपूर्ण स्वर समूह हैं - रे ,नि१ सा रे प (म)ग म या सा रे ग१ म ; म नि१ प ; म प नि१ प सा' और अवरोह के महत्वपूर्ण स्वर समूह है - सा' नि१ प नि१ प ; म प ; ग१ म प म रे सा रे सा। यह एक उत्तरांग प्रधान राग है। यह स्वर संगतियाँ राग नायकी कान्हड़ा का रूप दर्शाती हैं -
सा रे ,नि१ सा रे प ग१ म ; ग१ म प म रे सा रे सा ; सा रे रे ग१ म ; म नि१ प ; म प नि१ प म प सा' ; म प नि१ सा' ; सा' नि१ प नि१ प ; नि१ नि१ प म प नि१ नि१ प म प ; ग१ म प म रे सा रे सा;
स्वर | धैवत वर्ज्य। गंधार व निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | षाढव - षाढव वक्र |
थाट | काफी |
वादी/संवादी | मध्यम/षड्ज |
समय | रात्रि का दूसरा प्रहर |
विश्रांति स्थान | रे; प; - प; म; रे; |
मुख्य अंग | रे ,नि१ सा रे प (म)ग१ ; ग१ म प म रे सा रे सा ; ग१ म नि१ प ; नि१ म प (म)ग१ म प म रे सा रे रे सा; म प नि१ प सा'; प नि१ प; ग१ म रे सा; |
आरोह-अवरोह | सा रे (म)ग१ म प नि१ प सा' - सा' नि१ प नि१ प म प (म)ग१ ग१ म रे सा |
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
समप्रकृति राग
Tags
राग
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राग नायकी कांहड़ा के समप्रकृति राग
समप्रकृति राग– सूहा, सुघराई, शहाना और देवशाख।
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Apoorva Gokhale: Raag Nayaki Kanada
Apoorva Gokhale's second piece of her recital at the FEA-curated CROSSROADS festival in Mumbai was in Raag Nayaki Kanada. She was accompanied by Yati Bhagwat on tabla and Chaitanya Kunte on harmonium. Vocal support and tanpuras were provided by Amritha Shenoy-Kamath and Aditi Joshi.
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Raag Nayaki Kanada By Acharya Vishwanath Rao Ringe 'Tanarang'
Raag Nayaki Kanada By Acharya Vishwanath Rao Ringe 'Tanarang'.
Born on December 6, 1922, Acharya Vishwanath Rao Ringe was an eminent Hindustani Classical Music Vocalist and composer who hailed from the Gwalior Gharana. He was popularly known as 'Acharya Tanarang', as he composed nearly all of his bandishen under the title 'Tanarang'.
Acharya 'Tanarang' was the disciple of late Pandit Krishnarao Shankar Pandit of the Gwalior Gharana. Acharya 'Tanarang' is credited for composing more than 1800 bandishen in about 200 Raags and different Taals.
Accompanying him is his son, Shri Prakash Vishwanath Ringe.
Chota Khyal: Ghan Te Ghana Barse. Taal: Trital