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देशकार

देशकार

राग देशकार, राग भूपाली के निकट का राग है, इसलिये इसे गाते समय सावधानी बरतनी चाहिये। राग देशकार में शुद्ध धैवत बहुत प्रबल है। पंचम से आलाप का अन्त करना चाहिये।

यह स्वर संगतियाँ राग देशकार का रूप दर्शाती हैं - सा ग रे सा ; ,ध ,ध सा ; सा रे ग प ध ; ध ग प ; प ध सा' ; ध प ध ग प ; ग प ध प ग रे सा ; रे ,ध ,ध सा ; ग प ध ध ; प ध प ग प ध प ध ग प ध सा' सा' ; ध प ; प ध ग प ; ग प ध प ग रे सा ; रे ,ध सा ;

राग के अन्य नाम

संबंधित राग परिचय

देशकार

राग देशकार

राग देशकार, राग भूपाली के निकट का राग है, इसलिये इसे गाते समय सावधानी बरतनी चाहिये। राग देशकार में शुद्ध धैवत बहुत प्रबल है। पंचम से आलाप का अन्त करना चाहिये।

यह स्वर संगतियाँ राग देशकार का रूप दर्शाती हैं - सा ग रे सा ; ,ध ,ध सा ; सा रे ग प ध ; ध ग प ; प ध सा' ; ध प ध ग प ; ग प ध प ग रे सा ; रे ,ध ,ध सा ; ग प ध ध ; प ध प ग प ध प ध ग प ध सा' सा' ; ध प ; प ध ग प ; ग प ध प ग रे सा ; रे ,ध सा ;

थाट

राग जाति

आरोह अवरोह
सा रे ग प ध सा' - सा' ध प ध ग प ग रे सा ;
वादी स्वर
धैवत/गंधार
संवादी स्वर
धैवत/गंधार

राग के अन्य नाम

देशकार

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 20:28

राग देशकार का परिचय
वादी: ध
संवादी: ग
थाट: BILAWAL
आरोह: सारेगपधसां
अवरोह: सांधपगरेसा
पकड़: सां-धपध गपध-
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-AUDAV
समय: दिन का प्रथम प्रहर
विशेष: इस राग में मध्यम एवं निषाद वर्ज्य है। यह भूपाली के सामान प्रतीत होता है किन्तु भूपाली पूर्वांग प्रधान है जबकि देशकार उत्तरांग प्रधान।