कौसी कान्ह्डा
Sreevalsan J. Menon | Raga - Kannada
Feel the resonance of evening raga....Sreevalsan J. Menon is an Indian Carnatic vocalist and a music composer from Kerala.
कौसी कान्ह्डा
यह राग दो विभिन्न अंगों द्वारा गाया जाता है - मालकौंस अंग और बागेश्री अंग। लेकिन मालकौंस अंग ही ज्यादा प्रचलन में है। अतः यहाँ उसी को दर्शाया गया है। इस राग में मालकौंस और कान्हडा अंग का मिश्रण झलकता है। मीण्ड, खटके और गमक इनके प्रयोग से इस राग का माधुर्य श्रोताओं पर अपना अलग ही प्रभाव डालता है।
आलाप और तानों का अंत ग१ म रे सा (कान्हडा अंग) अथवा ग१ म ग१ सा (मालकौन्स अंग) से किया जाता है। आरोह में रिषभ का प्रयोग सा रे ग१ म रे सा अथवा रे ग१ म सा इस तरह से किया जाता है।
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संबंधित राग परिचय
कौसी कान्ह्डा
यह राग दो विभिन्न अंगों द्वारा गाया जाता है - मालकौंस अंग और बागेश्री अंग। लेकिन मालकौंस अंग ही ज्यादा प्रचलन में है। अतः यहाँ उसी को दर्शाया गया है। इस राग में मालकौंस और कान्हडा अंग का मिश्रण झलकता है। मीण्ड, खटके और गमक इनके प्रयोग से इस राग का माधुर्य श्रोताओं पर अपना अलग ही प्रभाव डालता है।
आलाप और तानों का अंत ग१ म रे सा (कान्हडा अंग) अथवा ग१ म ग१ सा (मालकौन्स अंग) से किया जाता है। आरोह में रिषभ का प्रयोग सा रे ग१ म रे सा अथवा रे ग१ म सा इस तरह से किया जाता है।
यह स्वर संगतियाँ राग कौसी कान्हडा का रूप दर्शाती हैं - ,नि१ ,नि१ सा ; ,ध१ ,नि१ ,नि१ ,ध१ ; ,नि१ सा रे रे सा ; ,नि१ सा रे सा ,ध१ ,ध१ ,नि१ सा ग१ ; सा ग१ म ; म प ; म ग१ म ; रे सा ; ग१ ; म प म ग१ म ; नि१ ध१ प म ; म ध१ नि१ सा' ; नि१ ध१ नि१ ध१ ; प म ग१ म ; म प ग१ ग१ म रे सा ; सा' नि१ ध१ नि१ ; ध१ प ; प म ; प म ग१ म प ; ग१ प म ; ग१ म ग१ सा ; ,ध१ ,नि१ रे सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग
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