कलम लगाने की विधियाँ pdf
चाँदनी केदार
Pooja
Tue, 20/04/2021 - 21:13
इस राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से मानी गई हैं। दोनों मध्यम, दोनों निषाद तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते है। आरोह में ऋषभ, गंधार वर्जित तथा अवरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते है, इसलिये इसकी जाति ओडव- सम्पूर्ण है। वादी स्वर मध्यम और संवादी षडज है। गायन समय रात्रि का प्रथम प्रहर है। चलन वक्र है।
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