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लैला मजनू

Sohani

यह उत्तरांग प्रधान राग है। इसका विस्तार तार सप्तक में अधिक होता है। यदि इस राग का मंद्र सप्तक में विस्तार किया गया तो राग पूरिया दिखने लगता है और यदि रिषभ और धैवत को प्रबल करके मध्य सप्तक में गाएं तो राग मारवा दिखने लगता है। 

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