पूरिया
Puriya
Anand
Sat, 20/03/2021 - 23:28
राग पूरिया रात्रि के रागों में अनूठा प्रभाव पैदा करता है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में किया जाता है। इसी कारण यह राग सोहनी से अलग दिखता है, जिसका विस्तार तार सप्तक में अधिक होता है। इस राग में गंधार और निषाद पर बार बार न्यास किया जाता है, जिससे यह राग मारवा से अलग दिखता है, जिसमें रिषभ और धैवत पर न्यास किया जाता है।
- Read more about Puriya
- Log in to post comments
- 1699 views