गुजरी वाद्य यंत्र
ভারত সঙ্গীতকে অনেক উচ্চতা দিয়েছে
भारत ने संगीत को बहुत ऊंचाई दी है. यहाँ संगीत और उसके वाद्य यंत्रो को महज मनोरंजन तक सीमित नहीं रखा गया बल्कि उसे मंदिर और मठ से होते हुए विज्ञान की प्रयोगशाला तक ले जाया गया.
जयपुर के अब्दुल अजीज को संगीत की तालीम विरासत में मिली है. लेकिन उन्होंने अपना समय वाद्य यंत्रो के संरक्षण और संग्रह को समर्पित कर दिया.
अजीज का घर नायाब वाद्य यंत्रो से पटा पड़ा है.
उनके पास कोई 600 से ज्यादा साज है. इनमें बौद्धकाल से लेकर मुगल और राजपूत राजाओं के समय के साज शामिल है. अजीज खोज-खोज कर वाद्य यंत्रो का संग्रह करते रहते हैं.
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রাবণহাতা
রাবণহাতা হল ভারত, শ্রীলঙ্কা এবং আশেপাশের অঞ্চলে ব্যবহৃত একটি ধনুকসদৃশ ও বেহালা বা বীণাজাতীয় এবং তারযুক্ত প্রাচীন বাদ্যযন্ত্র। রাবণহাতা ছাড়াও অঞ্চলভেদে এটি রাবণহত্ত, রাবণহস্ত, রাবণহত্থ, রাবণস্ত্রোণ এবং রাবণ হস্তবীণা ইত্যাদি নামে পরিচিত। কেউ কেউ এটিকে বেহালার পূর্বপুরুষ বলেও মনে করে থাকেন।
গঠনশৈলী
রাবণহাতার মূল শব্দোৎপাদক অংশ বা সাউন্ড বক্সের কাঠামোটি লাউ, অর্ধেক নারিকেলের খোল বা কাঠের ফাঁপা স্তম্ভ দিয়ে তৈরি করা হয় এবং সবশেষে ছাগল বা অন্য কোন প্রাণীর চামড়া দিয়ে মূলকাঠামো ঢেকে দেওয়া হয়। এতে কাঠ বা বাঁশের একটি ঘাড় সংযুক্ত থাকে।
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